
मसलन मुन्नी बुआ को सर्दी है तो उनके लिए
चाय,काफी। शीला की पेशानी पर पसीना देख पेप्सी या फिर माजा,मिरिंडा। मुह बोली दीदी,भाभी
का भी ख्याल रखना है। किसी को किसी तरह की समस्या हुई मतलब चापलूस की कर्मठता पर सीधा
सवाल ? ये रोज की बात है। बिलासपुर से कोरबा फिर कोरबा से वापस बिलासपुर। अलग-अलग संस्थान
के कई ताहुतदार दिखाई पड़ते है। कुछ ऐसे भी है जो सिर्फ जगह छेंकने का काम ईमानदारी
से करते है। कई बार ऐसा भी होता है जगह का जुगाड़ करने वाला इसकी-उसकी जंघा में टिकाने को मोहताज दिखाई पड़ता है।
कई मुसाफिर है मगर चापलूसों का कुनबा
बड़ा है। मैं रोज देखता हूँ,सुनता हूँ और सोचता हूँ अगर पिछलग्गू,चापलूस,चाटुकार ना
होते तो क्या होता ?
No comments:
Post a Comment