Tuesday, April 01, 2014

वो कही खो गई....

                                                           
                            बात इसी जाड़े [सर्दियों] कीं तो है। उस दिन भी मै रोज ही तरह रोजगारी के फेर में ट्रेन से रायपुर जाने प्लेटफ़ार्म पर पहुंचा था। ट्रेन समय से चंद मिनट पहले आकर प्लेटफार्म पर खड़ी हो गई थी। जिस बोगी में रोज बैठकर सफ़र करते थे उसी मे सवार हुए। रोजाना के साथियों के बीच एक नया चेहरा,लगा कोई मुसाफिर होगा। कुछ सोचते,समझ पाते तब तक उसकी नजरों से मेरी नजरे पहली मुलाक़ात के ख़्वाबों में ना जाने कौन कौन से रंगों में रंगती चली गईं। कुछ देर बाद ही एक साथी से मालूम हुआ हमारी बोगी में आई वो नई मेहमान सिर्फ मेरे लिए नई थी। कई साथी उसे चहरे से,कुछ नाम से तो कुछ उसके खुशमिज़ाजी [हंसमुख स्वभाव] के चलते जानते थे। बड़ी बड़ी आँखे जिसमे एक अजीब सी कशिश,होंठों पे निश्छल मुस्कराहट और बातों में अपनापन। चंद मिनटों में मुझे लगा जैसे मैं भी उससे वाकिफ हूँ,वो मेरे लिए भी अनजान  नही है। इसी बीच ट्रेन गंतव्य की ओर प्लेटफार्म से रवाना हो गई। 
                                                                                             रोजाना के साथियों से दुआ सलाम तो हो ही चुका था।  बारी थी काफी की चुस्की के साथ देश दुनिया के साथ साथ अपने इर्द-गिर्द के लोगों के हालचाल पर चर्चा की। ये हम सबका रोजाना का काम था। कोई ज्यादा तो कोई कम, पर बोलते सब थे। सबकी अपनी राय थी,सब प्रतिक्रया देते थे। कुछ आते ही आराम के तलबगार थे वो ट्रेन में चढ़ते ही ऊपर की बर्थ पर चढ़कर कान में मोबाइल से कनेक्टेड साउंड सिस्टम [ईयर फोन] लगा लेते तो कुछ चाइना के मोबाइल से गीत संगीत के शोर से सबका मनोरंजन करते। सब बिंदास,कुछ सरकारी नौकरशाह तो कुछ अपनी मर्ज़ी के मालिकान।  मतलब कुछ साथियों का खुद का कारोबार है तो कुछ मेरी तरह निजी प्रबंधन के गुलाम। जहां घडी देखकर काम होता है पर मैं शुरू से अपनी मर्ज़ी का मालिक रहा। 
                                                       यक़ीनन आज भी मन के शोर ने ही साँसों की रफ़्तार को बढ़ा दिया था। अब तक नए मेहमान से सिर्फ नज़रों का परिचय हुआ था। मेरा दुआ सलाम अब भी बाकी था,अब तक मैं कुछ भी नही जान पाया था आखिर वो खूबसूरत बला है कौन ? सच में वो मेरे लिए किसी बला से कम नही है क्यूंकि मैं मन ही मन उसे अपना मान बैठा था। मन में कई सवाल,कइयों जिज्ञासा पर किससे क्या पूछूं ? अभी मैं जिसका नाम तक नहीं जान सका था वो अचानक उठकर मेरे सामने से चली गई। रफ्ता-रफ्ता चलती साँसें पहले से ही तेज थी अब उसका पास से उठकर अचानक चले जाना मेरे ऊपर किसी सितम से कम नही था। पर क्या करता मैं मजबूर था। ट्रेन स्टेशन दर स्टेशन रायपुर की ओर धड़धड़ाती हुई भाग रही थी। मेरी बेचैनी कोई ना समझे इसलिए रोज की चर्चा में शामिल तो था पर ध्यान उस ओर था जिधर वो थी। मैंने एक साथी से  उसका नाम पूछा पर वो भी मेरी तरह अनजान ही था। मैंने खुद ही साहस जुटाया और दूर खड़ी उस अनजान बला को इशारे से पास बुला लिया।  इशारे को देख वो हलकी सी मुस्कराहट लिए मेरी ओर बढ़ने लगी। शायद उसे भी यकीं हो चला था ट्रैन की भीड़ में शामिल मैं भी रोज का मुसाफिर हूँ। 
              मैंने तत्काल उसे काफी ऑफर की,उसने बड़ी ही सादगी के साथ स्वीकार  कर लिया। उसे जरा भी एहसास नही था कि मेरी नज़रों में उसने देखते ही देखते घर कर लिया है। सफ़र कि मंजिल करीब थी मगर मैं अब भी उसके नाम से वाकिफ नही था। सच कहूं पूछने कि हिम्मत नही जुटा पाया। मैंने सिर्फ काफी पीने के लिए पूछा, बस उसके बाद  कोई बात करने की हिम्मत करता तब तक रायपुर पहुंच गए ।  मैंने उसको  पहली  मुलाक़ात में ही अपना सब कुछ  मान लिया। मगर उसके हाल-मुकाम से वाकिफ नही हो सका। ट्रेन प्लेटफार्म पर पहुंचकर खड़ी हो गई और सैकड़ों यात्रियों की भीड़ के बीच वो तेजी से निकलकर कही खो सी गई। मैं यहाँ-वहाँ भीड़ के बीच उसे तलाशता रहा मगर जो उस भीड़ में था ही नही वो भला मुझे नजर क्या आता ? 
                                                                                      बेचैन मन में बार बार उसके चेहरे की सादगी,नाजुक होंठों पर आती मुस्कराहट और कातिल आँखों की तस्वीर दिखाई पड़ती। ऑटो में सवार होकर मैं अपने दफ्तर पहुँच गया इस विश्वास और उम्मीद के साथ कि  कभी तो मिलेगी तब उससे उसका नाम पूछूंगा। कहाँ काम करती हो ये जान लूंगा और भी बहुत कुछ........। 

2 comments:

  1. आपके काहानी के उूपर जो चित्र है, वह मैरी बनावट है। आपको उसे इस्तमाल करने की अनुमती नही है। उसे हटा दीजिए।

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    1. Ritwika जी ।नमस्कार
      मुझे कतई जानकारी नही है ये छाया चित्र/स्केच किसका है । गूगल जी की मदद से प्राप्त किया है । रही बात हटाने की तो कहीं पर भी नियम कायदों का जिक्र नही है ।
      पुनः सादर नमस्कार ।

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